दिवाळी विशेष : अंजान होकर मिलते है

दिवाळी विशेष 


अंजान होकर मिलते है 

आज फिर एक बार अंजान होकर 

            मिलते हैं .... 

कुछ सवाल तुम पूछ लेना, 

कुछ हाल हम पूछ लेते हैं .... 

चलो एक कप चय से एक दूसरे को 

         बाते बतलाते हैं .... 


पुराने गिले शिकवे भूलकर नया दौर             

            आजमाते हैं...... 

चलो एकबार फिर दोस्ती करते है ... 

टकराते हुए नई मुलाकात से शुरवात 

               करते हैं..... 


इस बार नजरें जो टकराई तो कोई 

       उम्मीद नहीं होगी ....  

हल्के से होटोंपर सिर्फ एक 

           मुस्कान होंगी ...... 

आज फिर एक बार अंजान होकर 

             मिलते हैं ...... 


- सायली 

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