दिवाळी विशेष : कोण होती ती

दिवाळी विशेष 


 कोण होती ती .... 


    कोण  होती ती .... 

काय सांगू मित्रा तुला.. 

 कोण होती ती ... ?

उतरून आली मेनका

  का रंभा  होती ती... ?

बाकदार बांधा तिचा... 

 नाकडोळे रेखीव .. 

घायाळ व्हावा  जीव ... 

 असे शिल्प होते

 ओतीव... 


मधाळ हसणे तिचे.. 

 खळी खोल गालावर...  

हृदयात पीळ  आत... 

घाव थेट खोलवर... 


केश संभार सारा.. 

 उधळून हवेत गेला... 

भुरभुरत्या  बटा त्या ... 

गुंता वाढवीत गेल्या .... 


केतकी वर्ण तिचा... 

 गाल गुलाबी गोजिरे... 

 चाफेकळी नाक तिचे ... 

डोळे रे गर्द निळे...

काय सांगू मित्रा..?

 भानगड ही निराळी.. 

 सगळ्याहून रे खूप... 

 वेगळी वेगळी..... 


-सु बा कुलकर्णी


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